किसी की मदद ना करने के एक हजार बहाने होते हैं, परंतु अगर ठान लें तो कुछ भी किया जा सकता है।
जानते है!
जब ” टाईटेनिक ” समुन्द्र मे डूब रहा था, तो उसके आस पास तीन ऐसे जहाज़ मौजूद थे, जो टाईटेनिक के मुसाफिरों को बचा सकते थे!सबसे करीब जो जहाज़ मौजूद था उसका नाम “SAMSON ” था और वो हादसे के वक्त टाईटेनिक से सिर्फ 7 मील की दुरी पर था! सैमसन के कैप्टन ने न सिर्फ टाईटेनिक की ओर से फायर किए गए सफेद शोले (जोकि इन्तेहाई खतरे की हालत मे हवा मे फायर किया जाता है) देखे थे, बल्कि टाईटेनिक के मुसाफिरो के चिल्लाने के आवाज़ को भी सुना भी था, लेकिन सैमसन के लोग गैर कानूनी तौर पर बहुत कीमती समुन्द्री जीव का शिकार कर रहे थे और नही चाहते थे कि पकडे जाए, लिहाजा वो टाईटेनिक की हालात को देखते हुए भी मदद न करके, अपनी जहाज़ को दूसरे तरफ़ मोड़ कर चले गएl
“ये जहाज़ हम मे से उनलोगों की तरह है, जो अपनी गुनाहों भरी जिन्दगी मे इतने मग़न हो जाते हैं कि उनके अंदर से इन्सानियत का एहसास खत्म हो जाता है और फिर वो सारी जिन्दगी अपने गुनाहो को छिपाते गुजार देते हैं….
“दूसरा जहाज़ जो करीब मौजूद था, उसका नाम “CALIFORNIAN ” था जो हादसे के वक्त, टाईटेनिक से 14 मील दूर था. उस जहाज़ के कैप्टन ने भी टाईटेनिक की तरफ़ से मदद की पुकार को सुना और बाहर निकल कर सफेद शोले अपनी आखो से देखा, लेकिन क्योकि टाईटेनिक उस वक्त बर्फ़ की चट्टानो से घिरा हुआ था, उसे उन चट्टानों के चक्कर काट कर जाना पड़ता, इसलिए वो कैप्टन मदद को ना जा कर, अपने बिस्तर मे चला गया और सुबह होने का इन्तेजार करने लगा!सुबह को जब वो टाईटेनिक के लोकेशन पर पहुँचा तो टाईटेनिक को समुन्द्र की तह में पहुँचे हुए, 4 घंटे गुज़र चुके थे और टाईटेनिक के कैप्टन Adword Smith समेत 1569 मुसाफिर डूब चुके थे……!
“ये जहाज़ हमलोगो मे से उनकी तरह है जो किसी की मदद करने अपनी सहूलत और असानी देखते है और अगर हालात सही ना हो तो किसी की मदद करना अपना फ़र्ज़ भूल जाते है!
“तीसरा जहाज़ “CARPHATHIYA” था जो टाईटेनिक से 68 मील दूर था. उस जहाज़ के कैप्टन ने रेडियो पर टाईटेनिक के मुसाफारो की चीख पूकार सुनी, जबकि उसका जहाज़ दूसरी तरफ़ जा रहा था. उसने फौरन अपने जहाज़ का रुख मोड़ा और बर्फ़ की चट्टानों और खतरनाक़ मौसम की परवाह किए बेगैर, मदद के लिए रवाना हो गया. अगरचे वो दूर होने की वजह से टाईटेनिक के डूबने के दो घंटे बाद लोकेशन पर पहुँच सका, लेकिन यही वो जहाज़ था जिसने लाईफ बोट्स की मदद से टाईटेनिक के बाकी 710 मुसाफिरो को जिन्दा बचाया था और उसे हिफाज़त के साथ न्यूयार्क पहुँचा दिया था!
उस जहाज़ के कैप्टन “आर्थो रोसट्रन” को ब्रिटेन के तारीख के चंद बहादुर कैप्टनों में शूमार किया जाता है और उनको कई समाजिक और सरकारी आवार्ड से भी नवाजा गया था…!
याद रखिए!—हमारी जिन्दगी मे हमेशा मुश्किलात रहती हैं, चैलेंज रहते हैं, लेकिन जो इस मुश्किलात और चैलेंज का सामना करते हुए भी इन्सानियत की भलाई के लिए कुछ कर जाए, उन्हे ही इन्सान और इन्सानियत याद रखती है!
दुआ करें कि खुदा किसी की मदद की तौफीक दे, क्योंकि ये इन्सानियत की सबसे ऊँची और आला तरीन दर्ज़ा है!
(William Thomas की यादगार पोस्ट.