सुभाष चंद्र बोस जन्म जयंती क्या है
23 जनवरी का दिन भारत की आज़ादी की लड़ाई के हीरो सुभाष चंद्र बोस के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है।
इस बार सरकार ने इस दिन को पराक्रम दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया है।
भारत सरकार ने सुभाष चंद्र बोस के लिए क्या किया
डाक टिकट | 1964, 1993, 1997, 2001, 2016 & 2018 |
1995 | नेताजी सुभाष चंद्र बोस अंतराष्ट्रीय हवाई अड्डा, कलकत्ता |
दिसम्बर 2018 | नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वीप, अंडमान |
1947 | नेताजी भवन, कलकत्ता (2007 में जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने नेताजी भवन का दौरा किया था)। |
1947 से वर्तमान | औऱ बहुत सारे स्कूल, कॉलेज, सड़कें और संस्थान सुभाष चंद्र बोस के नाम पर हैं। |
सुभाष चंद्र बोस का भाषण
नेताजी सुभाष चंद्र बोस कौन थे
नेताजी सुभाष चंद्र बोस भारत की आज़ादी की लड़ाई के क्रांतिकारी थे। उनको सामाजिक नीतियों और गर्म दल के प्रबल समर्थक के रूप में जाना जाता है।

सुभाष चन्द्र बोस की बेटी Anita Bose Pfaff
आरम्भिक नाम | सुभाष चन्द्र बोस |
पिता का नाम | जानकी नाथ बोस |
जन्मदिन | 23 जनवरी 1897 |
माता का नाम | प्रभावती दत्त |
जन्मस्थान | कटक, बंगाल, वर्तमान उड़ीसा (भारत) |
पत्नी | कुछ लोग Emilie Schenkl को उनकी पत्नी मानते हैं, परन्तु बोस ने इस शादी को दुनिया के सामने कभी स्वीकार नहीं किया। |
बच्चे | Anita Bose Pfaff एक लड़की |
मृत्यु | 18 अगस्त 1945 नानमोन आर्मी हस्पताल, ताइहोकू,जापानी ताइवान (वर्तमान ताइपेई शहर का हेपिंग हस्पताल, ताइवान) |
मृत्यु का कारण | तीसरे दर्जे के जलने के घाव। जब उनका एक बम्बवर्षक विमान ताइवान में दुर्घटना ग्रस्त हो गया था। हालांकि उनकी मौत के दिन से ही उनकी मौत के रहस्य को लेकर तरह तरह की कहानियां सुनी जाती हैं। |
सुभाष चंद्र बोस की शिक्षा
सुभाष चंद्र बोस अपने परिवार में 14 बच्चों में से 9वें नम्बर पर आते थे। उनके पिताजी जानकी नाथ बोस पेसे से एक वकील और बंगाल के रसूखदार व्यक्ति थे। उन्होंने बोस को अक्टूबर 1919 में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में दाखिला लेने के लिए लंदन भेजा था। 1921 में बोस ने ICS में पास होने बाद भी नॉकरी से इस्तीफा दे दिया था। और अपने बड़े भाई शरत चन्द्र बोस को लिखे पत्र में कहा था:
केवल बलिदान और त्याग की धरती पर ही हम अपनी राष्ट्रीय शोभा बढ़ा सकते हैं
सुभाष चन्द्र बोस
1902~ 1906 | Baptist Mission’s Protestant European School, कटक |
1909~ 1912 | Ravenshaw Collegiate School, कटक |
1912~ 1916 | Presidency College, कलकत्ता |
1917~ 1919 | Scottish Church College, कलकत्ता |
1919~ 1921 | Fitzwilliam Hall, Non-Collegiate Students Board, Cambridge |
1919 | कलकत्ता यूनिवर्सिटी, (B.A. फिलोसोफी) |
1921 | कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी, (B.A. Mental and Moral Sciences Tripos) |
नेताजी सुभाष चंद्र बोस का पदग्रहण
अक्तूबर 1920 | Indian Civil Service (ICS) में चौथा स्थान प्राप्त किया लेकिन नॉकरी करने से मना कर दिया। |
1923 | अध्यक्ष – भारतीय युवा कांग्रेस, सेक्रेटरी – बंगाल राज्य कांग्रेस |
1924 | CEO-Calcutta Municipal Corporation |
1927 | जनरल सेक्रेटरी – भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |
1928 | कमांडिंग ऑफिसर – भारतीय कांग्रेस कोर्प्स। बोस ने दिसम्बर 1928 में एक स्पेशल वर्दी में कोंग्रेस का जलसा बुलाया था, जिसको लेकर महात्मा गांधी के साथ उनके विचारों में मतभेद शुरू हुआ। महात्मा गांधी ने इस जलसे को Bertram Mills circus कहा था। |
1930 | मेयर – कलकत्ता शहर |
1930 के दशक में बोस ने यूरोप की यात्रा की तथा वहां भारतीय छात्रों और नेताओं से मुलाकात की। इसी दौरान उनकी मुलाकात Benito Mussolini से हुई जो 1922 से 1943 के दौरान इटली के प्रधानमंत्री रहे।

सुभाष चन्द्र बोस Emilie Schenkl के साथ
इसी दौरान 1937 में आस्ट्रिया की Emilie Schenkl से शादी की थी तथा यूरोप की राजनीति और प्रशासन करने के तरीके पर अध्ययन करके अपनी किताब The Indian Struggle लिखी, जो भारत की 1920-1934 के बीच आज़ादी की लड़ाई के संघर्ष को लेकर थी। हालांकि इस किताब को 1935 में लन्दन में प्रकाशित किया गया था परंतु इस पर तुरंत प्रतिबन्ध लगा दिया था।
सुभाष चन्द्र बोस और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
यूरोप से लौटने के बाद बोस के बाद बोस ने 1938 में जोर दिया कि कांग्रेस को राजनीतिक स्वतंत्रता को जीतने और समाजवादी शासन की स्थापना के दोतरफा उद्देश्य के साथ व्यापक साम्राज्यवाद-विरोधी मोर्चे पर संगठित होना चाहिए।
24 जनवरी 1938 में बोस ने पूर्ण स्वराज्य की मांग के साथ अंग्रेजों के खिलाफ बल प्रयोग के उद्देश्य के साथ कांग्रेस अध्यक्ष के लिये नामांकन स्वीकार कर लिया, जिससे अहिंसावादी महात्मा गांधी के साथ उनका गतिरोध होना स्वाभाविक था।
1939 में मुथुरामलिंगम थेवर के सहयोग से फिर से बोस कांग्रेस के अध्यक्ष चुन लिए गए और कांग्रेस में एकता बनाये रखने की पुरजोर कोशिस की, लेकिन गांधी जी ने उनको अपना अलग मन्त्रिमण्डल बनाने की सलाह दी।
1938 | अध्यक्ष-भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |
1939 | अध्यक्ष-भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (बीच में ही इस्तीफा दे दिया) |
1939 | अध्यक्ष-All India Forward Bloc |
इसी गतिरोध के चलते बोस ने 1939 में ही कांग्रेस के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया और 22 जून 1939 में All India Forward Bloc की स्थापना की जिसका मुख्य कार्यक्षेत्र बंगाल था।
सुभाष चंद्र बोस और आजादी की लड़ाई
सुभाष चंद्र बोस ने 1939 में कांग्रेस के पद से इस्तीफा देने के बाद बंगाल में Forward Bloc के अध्यक्ष के रूप में काम करना शुरू कर दिया था।
सुभाष चंद्र बोस का देश छोड़ना
अंग्रेजों द्वारा भारत को दूसरे विश्व युद्ध में झोंकने के खिलाफ बोस ने अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन शुरू किया, जिसके कारण बोस को 7 दिन जेल में रखने के बाद उनके कलकत्ता वाले घर मे नज़रबंद कर दिया गया था।
- इसका फायदा उठाकर बोस ने अपनी दाढ़ी बधाई और 16 जनवरी 1941 को एक पठान के वेश में कलकत्ता से निकल गए।
- 17 जनवरी 1941 को वह अपने चचेरे भाई शिशिर कुमार बोस के साथ वर्तमान झारखण्ड के रेलवे स्टेशन पर पहुंच गए।
- वहां से पेशावर (वर्तमान पाकिस्तान) पहुंचे और 26 जनवरी 1941 को अफगानिस्तान होते हुए रूस की यात्रा शुरू की।
- इस यात्रा के लिए उनकी मियां अकबर शाह (उत्तर पश्चिम में Forward Bloc के नेता) ने उनकी मदद की थी।
- पेशावर से रूस तक उनके साथ भगत राम तलवार रहे , जो एक रूस के जासूस थे।
- रूस पहुंचने के बाद उन्होंने इंग्लैंड के पारम्परिक दुश्मनी के चलते मदद की उम्मीद थी, परन्तु रूस के रुख से उनको निराशा हाथ लगी।
सुभाष चंद्र बोस और जर्मनी
सोवियत संघ के निराशाजनक रुख को देखते हुए बोस जर्मन चान्सलर Count von der Schulenburg के साथ अप्रैल 1941 में बर्लिन, जर्मनी पहुंच गए।
- जर्मनी में बोस को Special Bureau for India के साथ जोड़ा गया जो आज़ाद हिंद रेडियो का संचालन करता था।
- यहीं पर आज़ाद ने Indian Legion औऱ Free India सेंटर की स्थापना की। Indian Legion भारत के युद्ध बंदियो की एक टुकड़ी थी जिसमें शुरुआत में 4,500 सैनिक थे।
- इस सेना के सैनिकों को यह शपथ दिलाई जाती थी “मैं ईश्वर की इस पवित्र शपथ की कसम खाता हूं कि मैं जर्मन जाति और राज्य के नेता, एडॉल्फ हिटलर, भारत की लड़ाई में जर्मन सशस्त्र बलों के कमांडर के रूप में आज्ञापालन करूंगा, जिसके नेता सुभाष चंद्र बोस हैं”।
- बोस के लक्ष्य जर्मन सेना औऱ Indian Legion के साथ सोवियत संघ के रस्ते से भारत मे प्रवेश करके भारत को आज़ाद कराना था।
- लेकिन जर्मनी के रूस पर हमले के कारण बोस के यह सपना टूट गया और एडोल्फ हिटलर के साथ 1942 कि मीटिंग में यह पक्का हो गया कि हिटलर को भारत को आज़ाद कराने से ज्यादा दिलचस्पी Indian Legion को एक प्रोपगंडा की तरह प्रयोग करने में थी।
सुभाष चंद्र बोस और जापान
हिटलर की सोच को समझकर बोस एक जर्मन सबमरीन की मदद से फरवरी 1943 में जापान पहुंच गए, जिससे उनके द्वारा जर्मनी में भर्ती किये गए लोग नेताविहीन औऱ लक्ष्य विहीन हो गए।
- Indian National Army (INA) एक जापान के सेवानिवृत्त इंटेलीजेंस अध्यक्ष Iwaichi Fujiwara की सोच थी। Fujiwara एक ऐसी सेना चाहते थे जो जापान की सेना के साथ मिलकर लड़ सके।
- Fujiwara ने पहले प्रीतम सिंह ढिल्लों (बैंकाक से गदर पार्टी के अध्यक्ष) से मुलाकात की, औऱ उनके द्वारा भारतीय सेना एक कप्तान मोहन सिंह से।
- मोहन सिंह और Fujiwara ने मिलकर पहली भारतीय सेना बनाई और जनवरी 1942 में इसको नाम दिया गया Indian Nationl Army (INA).
- यह सेना Indian Independence league के सिद्धांतों पर काम करती थी, जिसके अध्यक्ष रास बिहारी बोस थे।
- हालांकि जापान और मोहन सिंह के मतभेदों के बाद दिसम्बर 1942 में INA को निलंबित कर दिया गया था।
- जुलाई 1943 में रास बिहारी बोस ने सिंगापुर मीटिंग में INA का जिम्मा सुभाष चंद्र बोस को सौंप दिया। बोस इस सेना के लिये दुनियाभर से सहायता जुटाने में सफल रहे।
- सुभाष चन्द्र बोस ने ही INA में अलग महिला सेना Rani of Jhansi regiment बनाई जिसकी अध्यक्ष लक्ष्मी स्वामीनाथन थी।
- इसी सेना के लिए सहायता हेतु सुभाष चंद्र बोस ने बर्मा में 4 जुलाई 1944 को अपना प्रसिद्ध नारा दिया था “तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आज़ादी दूंगा”।
आजाद हिंद सरकार और फ़ौज
INA, आजाद हिंद सरकार की देखरेख में काम करती थी। आज़ाद हिंद सरकार बोस द्वारा बनाई गई एक अंतरिम सरकार थी जो आज़ाद भारत के सिद्धांत पर बनाई गई थी। इस सरकार ने अपनी खुद की मुद्रा, मुहरें, न्यायालय औऱ सविंधान तक बनाया था तथा 9 Axis देशों में स्वीकृत थी।
ये 9 देश जर्मनी, जापान, वर्तमान इटली, फिलीपींस, चीन, बर्मा आदि थे।

आज़ाद हिन्द फ़ौज का logo
- INA का पहला मुख्य युद्ध अंडमान औऱ निकोबार में था, जिसका नियंत्रण लेने के बाद उनका नाम शहीद औऱ स्वराज रखा गया था। हालांकि अभी वास्तविक शक्तियां जापान के पास थी।
- इसके बाद 1944 में Operation U-Go कोड के साथ भारत के उत्तर पूर्व में INA औऱ जापानी आर्मी ने मणिपुर में पहली बार तिरंगा झंडा फहराया था।
- इसी Operation U-Go के दौरान बोस ने 6 जुलाई 1944 को आज़ाद हिंद रेडियो द्वारा सिंगापुर से महात्मा गांधी को Father of Nation कहा था और इस लड़ाई में उनके आशीर्वाद और सहयोग की कामना की थी।
- लेकिन विस्तृत फैले हुए क्षेत्र ने जल्द ही जापानी आर्मी को कमजोर कर दिया औऱ संसाधन सीमित पड़ने लगे।
- फलस्वरूप अंग्रेजी सेना के जवाबी हमले में जापानी आर्मी को काफी नुकसान हुआ और Operation U-Go असफल हो गया, परिणामस्वरूप INA भारत मे कुछ बड़ा करने में असफल रही।
- यद्यपि INA ने बर्मा में अंग्रेजी सेना के खिलाफ महत्वपूर्ण लड़ाइयां लड़ी लेकिन रंगून हारते ही, INA का वजूद खत्म होने की कगार पर पहुंच गया। INA के जनरल Lt Col Loganathan ने आत्मसमर्पण कर दिया और इसके सैनिकों को भारत मे मिला लिया गया और कुछ को युद्ध बन्दी बना लिया गया।
सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु
हालांकि सुभाष चंद्र बोस की मौत को लेकर अब बहुत सारी कहानियां बनाई जाती हैं, लेकिन इतिहासकारों की माने तो बोस की मौत विमान दुर्घटना में जलने के कारण हुई थी। 18 अगस्त 1945 को शनिवार के दिन रात 9 से 10 बजे के बीच आर्मी हस्पताल ताइहोकू (वर्तमान ताइपेई, ताइवान) मे हुई थी।
- Tsunamasa Shidei एक जापानी जनरल के साथ एक जापानी बम्बवर्षक जहाज से बोस बर्मा से जापान जा रहे थे।
- दोपहर के करीब 2:30 बजे जहाज के इंजन का प्रोपेलर टूटकर गिरने ने जहाज वर्तमान ताइवान के फारमोसा शहर में जमीन पर जा गिरा और 2 टुकड़ों में बिखर गया।
- बोस के कपड़ों पर इंजन का तेल लगने से आग लग गयी, किसी तरह से आग को भुजाकर उनको एक ट्रक में आर्मी हस्पताल लाया गया, जहां बोस कोमा में चले गए और कुछ घण्टे बाद करीब 9 से 10 के बीच उनकी मृत्यु हो गयी।
- बोस का दाह संस्कार 20 अगस्त 1945 को ताइहोकू में किया गया था और 23 अगस्त 1945 को जापानी समाचार एजेंसी Do Terzei ने बोस और Tsunamasa Shidei की मौत की खबर दी थी।
- 14 सितम्बर 1945 को टोक्यो में बोस की याद में एक आयोजन किया गया था और बोस की अस्थियों को एक बुद्ध मंदिर Renkōji Temple में रखा गया था। और आजतक अस्थियां वहीं हैं।
- भारत में बोस की मौत को लेकर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का आधिकारिक बयान महात्मा गांधी के राजकुमारी अमृत कौर (भारत की पहली स्वास्थ्य मंत्री) को लिखे पत्र में देखा जा सकता है, जिसमे वो लिखते हैं “सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु हो गयी है, वो निसन्देह एक देशभगत थे, परन्तु भटके हुए”।
सुभाष चंद्र बोस के नारे
तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हे आज़ादी दूंगा।
INA के लिये सहयोग मांगते वक़्त, बोस ने रंगून बर्मा में यह नारा दिया था
इंकलाब, जिंदाबाद
यह नारा मौलाना हसरत मोहानी द्वारा दिया गया था, लेकिन बोस इस नारे को INA को प्रेरित करने के लिए प्रयोग करते थे।
जय हिन्द
दिल्ली चलो
ये नारे सुभाष चंद्र बोस ने दिए थे और आज़ादी के बाद भारतीय सेना ने जय हिंद नारे को अपनाया था।
इतेहाद, इत्तेमाद, कुर्बानी।
हिंदी में मतलब एकता, विश्वास, बलिदान है।
सुभाष चन्द्र बोस
पी सुभाष चंद्र बोस नाम के एक राजनेता 2019 में किस राज्य के मुख्यमंत्री बने?
आंध्र के उप मुख्यमंत्री बने थे
ये सुभाष इस भारतीय राजनीतिज्ञ हैं. राज्यसभा के सदस्य हैं. ये सुभाष बोस वर्ष 2019 में आंध्र प्रदेश में वाईएसआर कांग्रेस पार्टी की जीत के बाद वहां के पांच उप मुख्यमंत्रियों में एक बने थे.
इसके बाद वाईएसआर कांग्रेस ने उन्हें वर्ष 2020 में राज्यसभा में चुन कर भेजा, लिहाजा अब ये सुभाष चंद्र बोस संसद के उच्च सदन में हैं.
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