World Tuberculosis Day या विश्व टीबी रोग दिवस या विश्व क्षय रोग दिवस हर साल 24 मार्च को क्षय रोग के कारण होने वाले सामाजिक, आर्थिक औऱ स्वास्थ्य संबद्धित नुकसान के बारे में जागरूकता फैलाने के लिये मनाया जाता है।
World Tuberculosis Day विश्व टीबी रोग दिवस क्या है?
यह दिन टीबी रोग के बारे में जागरूकता फैलाने औऱ उससे होने वाले आर्थिक, सामाजिक औऱ स्वास्थ्य सम्बंधित नुकसान के बारे में लोगो को अवगत कराने के लिये मनाया जाता है।
नाम | विश्व टीबी रोग दिवस World Tuberculosis Day |
दिनांक | हर साल 24 मार्च को |
शुरुआत | 24 मार्च 1995 |
किसके द्वारा | विश्व स्वास्थ्य संगठन और सदस्य देशों द्वारा |
क्यों | टीबी रोग की रोकथाम के बारे में जागरूकता फैलाने के लिये |
World Tuberculosis Day का इतिहास
यह दिन 24 मार्च 1882 के उस दिन की याद में मनाया जाता है, जब डॉक्टर रॉबर्ट कोच ने टीबी के लिए जिम्मेदार बैक्टीरिया की खोज की थी। जिससे आगे चलकर उसके इलाज और रोकथाम के रास्ते खुले। 24 मार्च 1982 के दिन International Union Against Tuberculosis and Lung Disease ने पहली बार इस दिन को वैश्विक स्तर पर मनाने की सिफारिश की थी। लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 1995 में पहली बार इसको वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाई औऱ 1998 आते आते 200 से अधिक सदस्य देश इस दिन को विश्व टीबी रोग दिवस के रूप में मनाने लगे थे।
टीबी रोग दिवस की थीम अलग अलग सालों में
1997 | Use DOTS more widely |
1998 | DOTS success stories |
1999 | Stop TB, use DOTS |
2000 | Forging new partnerships to Stop TB |
2001 | DOTS: TB cure for all |
2002 | Stop TB, fight poverty |
2003 | DOTS cured me – it will cure you too! |
2004 | Every breath counts – Stop TB now! |
2005 | Frontline TB care providers: Heroes in the fight against TB |
2006 | Actions for life – Towards a world free of TB |
2007 | TB anywhere is TB everywhere |
2008 | I am stopping TB |
2009 | I am stopping TB |
2010 | Innovate to accelerate action |
2011 | Transforming the fight towards elimination |
2012 | Call for a world free of TB |
2013 | Stop TB in my lifetime |
2014 | Reach the three million: A TB test, treatment and cure for all |
2015 | Gear up to end TB |
2016 | Unite to End TB |
2017 | Unite to End TB |
2018 | Wanted: Leaders for a TB-free world |
2019 | It’s time |
2020 | It’s time to end TB! |
2021 | The clock is ticking |
TB रोग का संक्षिप्त विवरण
टीबी रोग मैक्रोबैक्टिरियम ट्यूबरक्लोसिस Microbacterium Tuberculosis नामक बैक्टिरिया से फैलता है। यह बैक्टियरिया मुख्य रूप से फेफड़ों पर हमला करता है, लेकिन शरीर के अन्य अंगों जैसे किडनी, रीढ़ की हड्डी और दिमाग आदि को भी संक्रमित कर सकता है।
टीबी रोग कैसे फैलता है
यह रोग हवा के द्वारा एक रोगी से दुसरे इंसान में फैलता है। जब कोई टीबी का रोगी छींकता, खांसता या सांस लेता है, तो बैक्टियरिया हवा में फैल जाते हैं और हवा के द्वारा स्वस्थ व्यक्ति में प्रवेश कर जाते हैं। निम्नलिखित कारणों से टीबी नहीं फैलता है:
- हाथ मिलाने से
- खाना पीना बांटने से
- टॉयलेट पेपर आदि बांटने से
- किसिंग Kissing से
- टूथब्रश बांटने से
टीबी रोग कितने प्रकार का होता है
संक्रमण के आधार पर टीबी रोग दो प्रकार का होता है:
- Latent TB infection: यह इंफेक्शन जब होता है जब टीबी का बैक्टियरिया शरीर मे प्रवेश कर जाता है, परन्तु शरीर का प्रतिरोधी तंत्र उससे लड़ता है औऱ बीमार नहीं होने देता।
- टीबी बीमारी: इस इंफेक्शन में आदमी बहुत जल्दी बीमार हो जाता है। इसका कारण रोगी का कमजोर इम्यून सिस्टम हो सकता है, जैसे एड्स, किडनी बीमारियां, ब्लड शुगर, कैंसर आदि बीमारियों वाला व्यक्ति टीबी से ज्यादा प्रभावित होता है।
टीबी रोग के लक्षण
क्षय रोग (TB) के लक्षण:
- तीन हफ्ते से ज्यादा खांसी
- बुखार (जो खासतौर पर शाम को बढ़ता है)
- छाती में तेज दर्द
- वजन का अचानक घटना
- भूख में कमी आना
- बलगम के साथ खून का आना
- फेफड़ों में बहुत ज्यादा इंफेक्शन होना
- सांस लेने में तकलीफ
टीबी रोग की रोकथाम
Latent TB Infection बहुत सारे लोगों में टीबी बीमारी में नही परिवर्तित होता है, लेकिन कुछ लोगों में जिनको पहले से कोई बीमारी है उनको ज्यादा खतरा होता है। इसलिए जब भी आपको पता चले नियमित रूप से दवाईयां लेते रहें क्योंकि कम बैक्टियरिया होने से ठीक होने की सम्भावना ज्यादा होती है।
- किसी संक्रमित व्यक्ति के साथ मास्क आदि पहनकर रहें।
- टीबी प्रभावित क्षेत्रों में सावधानी बरतें
- इंफेक्शन होने पर पूरी दवाइयां लें क्योंकि दोबारा इंफेक्शन बहुत खतरनाक हो सकता है।
- जिन लोगों को पहले से बीमारियां हैं उनको औऱ ज्यादा सावधानी की जरूरत होती है।
टीबी की दवाइयां
टीबी रोग को ठीक करने के लिए बहुत सावधानी की जरूरत होती है, टीबी की दवाइयां अगर जल्दी शुरू कर दी जाएं तो टीबी रोग दोबारा हो सकता है। अगर समय के हिसाब से ना ली जाएं तो बैक्टियरिया पर दवाइयां असर करना बंद कर देती हैं। ऐसे बैक्टियरिया का इलाज बहुत मुश्किल और महंगा होता है। इसलिए टीबी रोग की दवाइयां 6 से 9 महीने तक पूरी सावधानी ओर डॉक्टर की सलाह से लेनी चाहिए।
टीबी रोग के आंकड़े
- हर रोज़ लगभग 30,000 लोग टीबी से बीमार होते हैं औऱ 4,000 लोग अपनी जान गंवाते हैं
- टीबी की मृत्यु दर 42% है, यानी हर 100 लोग बीमार होने पर 42 लोग अपनी जान गंवा देते हैं। अगर तुलना ली जाए तो कोरोना वायरस की मृत्यु दर लगभग 2% के आस पास है।
- वैश्विक तौर पर किये गए प्रयासों से सन 2000 से अब तक लगभग 5.5 करोड़ लोगों की जान बचाई जा चुकी है।
- 2018 तक, सबसे अधिक टीबी के मामले दक्षिण-पूर्व एशिया (44%), अफ्रीका (24%) और पश्चिमी प्रशांत (18%) के क्षेत्रों में हुए,
- 50% से अधिक मामले इन 8 देशों में पाए गए: भारत ( 27%), चीन (9%), इंडोनेशिया (8%), फिलीपींस (6%), पाकिस्तान (6%), नाइजीरिया (4%) और बांग्लादेश (4%)।
- 2000 के बाद से हर साल नए मामलों की संख्या में कमी आई है
- ट्यूबरकुलिन परीक्षण द्वारा कई एशियाई और अफ्रीकी देशों में लगभग 80% लोग टीबी पॉजिटिव मिलते हैं, जबकि संयुक्त राज्य अमेरिका की जनसंख्या में 5-10% लोग पॉजिटिव मिलते हैं।
भारत औऱ टीबी रोग
- टीबी भारत में एक बहुत बड़ी समस्या है, पूरी दुनिया एक एक चौथाई मरीज़ केवल भारत मे आते हैं।
- स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार 2018 में भारत में 2,015,000 नए टीबी के मरीज आये थे,एक दिन के लगभग 5,000 मरीज।
- हर साल लगभग 220,000 लोग टीबी से जान गंवा देते हैं।
- विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार 2011 में भारत मे पूरी दुनिया मे आये 9,060,000 टीबी केशों में 2,020,000 केवल भारत में थे, लगभग 23%।
- टीबी भारत मे मरने वाले एड्स के हर तीसरे मरीज की मौत का कारण है
भारत सरकार के स्वास्थ्य और बाल कल्याण मंत्रालय ने 2025 तक देश में टीबी को खत्म करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। क्षय रोग को खत्म करने के अपने प्रयासों के तहत, केंद्र सरकार ने 30 दिसंबर, 2019 को राष्ट्रीय क्षय रोग नियंत्रण कार्यक्रम (RNTCP) का नाम बदलकर राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम (NTEP) कर दिया।
ट्यूबरकुलोसिस एसोसिएशन ऑफ इंडिया एक स्वैच्छिक संगठन है। इसे फरवरी 1939 में स्थापित किया गया था। यह भारत सरकार के साथ दिल्ली टीबी सेंटर से भी मिलकर काम करता है। एक अनुमान के अनुसार भारत को केवल टीबी से हर साल लगभग 750 करोड़ रुपये का हर साल नुकसान होता है।
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