भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिवस को कृष्ण भक्त कृष्ण जन्माष्टमी के रूप में मनाते हैं। इस बार 30 अगस्त, सोमवार को पूरे देश में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव का त्योहार मनाया जाएगा।
कृष्ण जन्माष्टमी क्यों मनाई जाती है?
हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को भगवान विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण ने धरती पर जन्म लिया था। भगवान श्री कृष्ण के भक्तजन उनके जन्मदिन को त्यौहार के रूप में मनाते हैं।
जन्माष्टमी 2021 की तिथि कब है
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की तिथि को लेकर लगभग हर बार कृष्ण और शैव मतावलंवियों के बीच में संशय बना रहता है। तिथि को लेकर आपस में मतभेद होने के कारण जन्माष्टमी दो दिन मनाई जाती है। लेकिन साल 2021 में इस बार सभी जगह एक ही दिन जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जाएगा। शास्त्रों के अनुसार भगवान कृष्ण के जन्म के समय विशेष ज्योतिषी संयोग बना था, ऐसा संयोग इस बार भी बना रहा है।
भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 29 अगस्त की रात 11 बजकर 25 मिनट से शुरू हो जाएगी जो 30 अगस्त की रात 02 बजे तक रहेगी। ऐसे में पूरे देश में 30 अगस्त को ही जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाएगा।
जन्माष्टमी कैसे मनाई जाती है
हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को भगवान विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण ने धरती पर जन्म लिया था। जन्माष्टमी पर घरों और मंदिरों में विशेष रूप से सजावट की जाती है। सभी प्रसिद्ध कृष्ण मंदिर और धाम में विशेष तरह के आयोजन होते हैं। कृष्ण भक्त इस दिन उपवास रखकर कान्हा की भक्ति में डूबे रहते हैं।

दही हांडी क्या है
भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव पर कृष्ण जन्माष्टमी (Krishna Janmashtami 2021) का पर्व मनाया जाता है. भगवान कृष्ण के श्रद्धालु जन्म अष्टमी को पूरी श्रद्धा और उत्साह से मनाते हैं. कृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर दही-हांडी की परंपरा होती है. जन्म अष्टमी पर दही हांडी महाराष्ट्र और गुजरात में उत्सव का प्रतीक है. मिट्टी के बर्तन को दही, मक्खन के साथ ऊंचाई पर लटका दिया जाता है. फिर युवाओं का झुंड मानव चेन बनाकर हांडी को तोड़ता है. इस साल कोरोना महामारी के चलते देश में दही -हांड़ी का उत्सव नहीं मनाया जाएगा.

जन्माष्टमी पूजा मुहूर्त
जन्माष्टमी पर रोहिणी नक्षत्र 30 अगस्त की सुबह 06 बजकर 39 मिनट पर रहेगा। ऐसे में जन्माष्टमी के पूजा का शुभ मुहूर्त 30 अगस्त की रात 11 बजकर 59 मिनट से रात 12 बजकर 44 मिनट तक रहेगा।
व्रत पारण समय
31 अगस्त को सुबह 9 बजकर 44 मिनट बाद व्रत का पारण कर सकते हैं।
रोहिणी नक्षत्र प्रारंभ- 30 अगस्त को सुबह 06 बजकर 39 मिनट से
रोहिणी नक्षत्र समापन- 31 अगस्त को सुबह 09 बजकर 44 मिनट पर।
जन्माष्टमी पूजन विधि
जन्माष्टमी के दिन प्रातः जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इसके बाद पूर्व या उत्तर की ओर मुख करके व्रत का संकल्प लें। माता देवकी और भगवान श्री कृष्ण की मूर्ति या चित्र पालने में स्थापित करें। पूजन में देवकी,वासुदेव,बलदेव,नन्द, यशोदा आदि देवताओं के नाम जपें। रात्रि में 12 बजे के बाद श्री कृष्ण का जन्मोत्सव मनाएं। पंचामृत से अभिषेक कराकर भगवान को नए वस्त्र अर्पित करें एवं लड्डू गोपाल को झूला झुलाएं। पंचामृत में तुलसी डालकर माखन-मिश्री व धनिये की पंजीरी का भोग लगाएं तत्पश्चात आरती करके प्रसाद को भक्तजनों में वितरित करें।
इन नियमों का करें पालन
इस पावन दिन भगवान श्री कृष्ण की पूजा के साथ ही गाय की भी पूजा करें। पूजा स्थल पर भगवान श्री कृष्ण की मूर्ति के साथ गाय की मूर्ति भी रखें।
पूजा सुंदर और साफ आसन में बैठकर की जानी चाहिए।
भगवान श्री कृष्ण का गंगा जल से अभिषेक जरूर करें।
गाय के दूध से बने घी का इस्तेमाल करें।
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