Smoking habits से हमें क्या नुकसान होते हैं
शरीर का ऐसा कोई भी अंग नहीं है जो धूम्रपान से प्रभावित नही होता है। यह फेफड़े, मुँह, गले, हृदय, दिमाग से लेकर किडनी, पेट यहाँ तक कि हड्डियों को भी प्रभावित करता है। धूम्रपान से होने वाली कुछ हानियाँ इस प्रकार हैं:

- Smoking से खून गाढ़ा हो जाता है, जिसकी वजह से उसका बहाव प्रभावित होता है
- हमारी धमनियों का आकार घटने लगता है जिससे रुकावट का खतरा बढ़ जाता है
- खून गाढ़ा होने से हमारे हृदय को ज्यादा काम करना पड़ता है, जिसकी वजह से हमें (Hypertension) ब्लड प्रेशर की समस्या हो जाती है
- धूम्रपान की कार्बन मोनोऑक्साइड और निकोटिन की वजह से हृदय गति बढ़ जाती है, जिससे दिल की दीवारें कमजोर होने लगती हैं।
- धूम्रपान से पेट के कैंसर और अल्सर का खतरा ज्यादा होता है
- धूम्रपान की वजह से पेट में एसिड रिफ्लक्स (Acid Reflux) की समस्या हो जाती है। इस बीमारी से सीने में जलन की दिक्कत होती है।
- अगर आप रोज 10 सिगरेट पीते हो, तो आपको किडनी कैंसर होने का खतरा न पीने वाले लोगों से डेढ़ गुणा ज्यादा होता है।
- धूम्रपान से हड्डियां कमजोर होती हैं और यह समस्या पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं में ज्यादा होती है
- दिमाग में घात (Brain Hemrage) का खतरा 50% तक बढ़ जाता है
- फेफडों की बीमारियों से होने वाली 84% मौतें धूम्रपान की वजह से होती हैं
- मुँह और गले के कैंसर का खतरा 93% तक बढ़ जाता है
- धूम्रपान करने वाले व्यक्ति को मुँह में बदबू जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है
- धूम्रपान वीर्य में शुक्राणुओं की संख्या को भी घटा देता है
- इंग्लैंड में हुए एक शोध के अनुसार लगभग 1 लाख 20 हज़ार जवान उम्र के लोगों में नपुंसकता की वजह धूम्रपान है
- महिलाओं में धूम्रपान भांजपन का खतरा बढा देता है
धूम्रपान के आँकड़े
सरकार का कहना है कि भारत में हर साल 10 लाख लोग लोग सिगरेट पीने से मरते हैं. ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे (2016-17) के मुताबिक़ भारत में सिगरेट पीने वालों की संख्या 10 करोड़ से ज़्यादा है।
- ग्लोबल अडल्ट टोबेको सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 10.7 फ़ीसदी वयस्क तंबाकू का सेवन करते हैं. देश में 19 फ़ीसदी पुरुष और 2 फ़ीसदी महिलाएं तंबाकू लेते हैं
- सिर्फ़ सिगरेट पीने की बात करें तो 4 फ़ीसदी वयस्क सिगरेट पीते हैं. सिगरेट पीने वालों में 7.3 फ़ीसदी पुरूष हैं और 0.6 फ़ीसदी महिलाएं हैं
- WHO की रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय महिलाओं में सिगरेट से ज्यादा बीड़ी पीने की आदत है. देश में 1.2 फ़ीसदी महिलाएं बीड़ी पीती हैं
- 2015 में पूरी दुनिया मे लगभग 110 करोड़ इंसान धूम्रपान करते हैं, जिसमें 90 करोड़ पुरूष और 20 करोड़ महिलाएं हैं
- विकसित देशों में धूम्रपान करने वाले पुरुषों और महिलाओं का अनुपात 2:1 है, जबकि विकासशील देशों में यह 7:1 है।
- धूम्रपान से एक इंसान की जिंदगी के लगभग 8 साल कम हो जाते हैं
- धूम्रपान करने वाले लोगों में से आधे इससे सम्बंधित बीमारी से मर जाते हैं
- हर साल दुनिया मे लगभग 80 लाख लोग धूम्रपान की वजह से मर जाते हैं। जिसमें से 12 लाख वे लोग हैं जो धूम्रपान करने वालों के परिवार से हैं या उनके साथ रहने वाले हैं।
धूम्रपान की habit क्यों बनती है
धूम्रपान करने की 5 मुख्य वजह होती हैं। ज्यादातर लोग कम उम्र से ही धूम्रपान शुरू कर देते हैं। जिस उम्र में उनको इससे होने वाले नुकसानों की समझ नही होती है और शरीर भी अपेक्षाकृत मजबूत होता है, इसलिए धूम्रपान के दुष्प्रभाव नजर नही आते।धूम्रपान करने की मुख्य वजहों को नीचे लिखा गया है:
1. अपने माता पिता की ख़िलाफ़त करने के लिए
जब हम जवान होने लगते हैं, तो हमारे माता पिता की बहुत सारी बातें हमें गलत लगती हैं। लेकिन हम उनके सामने खुलकर विरोध नही कर पाते। इसका परिणाम यह होता है कि अपने अहंकार को शांत करने के लिए, हम गलत काम जैसे धूम्रपान शुरू कर देते हैं। इसके पीछे की हमारी सोच अपने माता पिता को यह जताने की होती है कि हम अब उनके दबाव में नहीं हैं और अपने फैसले खुद करते हैं, चाहे वह धूम्रपान जैसे ग़लत फैसले ही क्यों न हों।
2. अपने दोस्तों के दबाव में
जैसी हमारी संगत होती है, वैसा ही हमारा व्यक्तित्व होता है। अगर हमारे ग्रुप में कोई दोस्त सिगरेट पिता है, तो बहुत ज्यादा सम्भावना है कि हम भी वो काम शुरू कर देते हैं। कई बार हमारे दोस्त मिलकर भी धूम्रपान के लिए दबाव बनाते हैं। परिणामस्वरूप किसी किसी मौके पर किया हुआ धूम्रपान हमारी आदत में बदल जाता है।
3. समाज में घुलने मिलने के लिए
इंसान एक सामाजिक प्राणी है। जब हम किसी ऐसे समाज में रह रहे हों, जहां धूम्रपान करने वाले लोग ज्यादा हो, तो उस समाज का हिस्सा बनने के लिए हम भी धूम्रपान शुरू कर देते हैं। यह समाज आपका ऑफिस, विभाग, रिश्तेदार, कॉलोनी, स्कूल, कॉलेज कुछ भी हो सकता है।क्योंकि हमें यह बिल्कुल पसंद नहीं है कि लोग हमें समाज का हिस्सा न समझें।
4. झूठा प्रदर्शन करने के लिये
धूम्रपान, खासकर सिगरेट को हमारे समाज में ऊंची सोच की पहचान बना दिया गया है। जब फिल्मों में हमारे पसंदीदा हीरो को सिगरेट पीते हुए दिखाया जाता है, उसका सीधा असर हमारी आदतों पर पड़ता है। और हम अपने रोल मॉडल की नकल करने के लिए उसकी सिगरेट पीने की आदत की नकल करने की कोशिश करते हैं।
5. गलत धारणाओं की वजह से
हमारे आसपास फैली हुई गलत धारणाएँ जैसे सिगरेट से हाजमा ठीक होता है, नींद अच्छी आती है, ध्यान केंद्रित होता है, तनाव और चिंता कम होती है आदि हमें धूम्रपान करने के लिए प्रेरित करती हैं। बेसक तम्बाकू में मिलने वाकई निकोटिन से दिमाग ज्यादा केंद्रीत होता है, लेकिन यह काम बिना निकोटीन के भी किया जा सकता है।
6. निकोटिन की लत के कारण
तम्बाकू में निकोटिन पाया जाता है, जो लत लगने वाला एक अवयव होता है। जब हम ऊपर लिखी गयी वजहों से धूम्रपान शुरू कर देते हैं, तो हमारे दिमाग को इसकी आदत हो जाती है। परिणामस्वरूप कुछ देर के लिए भी सिगरेट खत्म हो जाने से हमें जलन, चिंता, दुःख और अंसतुलन महसूस होने लगता है। और हमें बार बार सिगरेट पीने की इच्छा होती है।
सवाल जवाब
Smoking से होंठ काले क्यों होते हैं
तम्बाकू से निकलने वाला निकोटिन हमारी धमनियों में खून के प्रवाह को बाधित करता है। मुँह और होठों को खून भेजने वाली धमनियां बहुत कोमल होती हैं। अतः खून का कम बहाव, निकोटिन, टार होठों की त्वचा को काला, हल्का नीला या हल्का काला बना देता है।
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